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भीषण हादसों में स्वयंसेवकों की भूमिका

शिमला

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भारी बारिश  कि वजह से 2 दिनों के भीतर तीन दर्दनाक हादसों से शिमला शहर पूरी तरह से सहम गया। संघ के स्वयंसेवकों ने अपने विवेक से एक के बाद एक हुए तीनों हादसों में त्वरित कार्यवाही करते हुए भीषण परिस्थितियों में पूर्ण सहयोग दिया। पहला हादसा 14 अगस्त को सांय केशव नगर के फागली बस्ती में एक भवन के क्षतिग्रस्त होने पर हुआ वहां घटना ग्रस्त लोगों को अस्थाई शिविर में पहुंचाया गया।


उनके लिए कंबल, भोजन व रहने की व्यवस्था की गयी तभी एक और हादसे ने दस्तक दी। 15 अगस्त सुबह लगभग 8:15 शिमला के समरहिल में शिव बावड़ी स्थित शिव मंदिर भारी भूस्खलन की चपेट में आ गया। जिसमें लगभग 25 से 30 लोग मलबे के बीच में दब गए यहां पर भी स्वयंसेवकों ने अग्रिम पंक्ति में रहकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिमाचल प्रदेश, विश्वविद्यालय अभ्युदय अध्ययन मंडल, शिक्षक महासंघ  के कार्यकर्ताओं के साथ, घटनास्थल पर शवों को मलवे से निकालकर उन्हें अस्पताल तक पहुंचाया।


उनकी पहचान कर संतप्त परिवारों से सम्पर्क किया  तथा उनके खाने व बैठने के लिए उचित व्यवस्था के साथ-साथ शव की चिता इत्यादि की पूरी व्यवस्था  डॉक्टर हेडगेवार स्मारक समिति शिमला ने निशुल्क की। शिमला पर एक के बाद एक कहर बरस रहा था, इसी दिन  लगभग 3:30 बजे तीसरा हादसा केशव नगर के कृष्णा नगर बस्ती में भारी भूस्खलन से लगभग तीन से चार मकान नेस्तनाबूद हो गये।  जिसमें लगभग 80 से 100 लोग बेघर हो गए यहां पर भी संघ के स्वयंसेवकों ने सेवा दूत बनकर पीड़ित जनों की पूरी क्षमता से उनके पुनर्वास रात्रि में कंबल, ठहराव व भोजन इत्यादि की व्यवस्था की गयी। शिमला शहर के सभी 6 नगरों से 60- 60 पैकेट भोजन को एकत्रित कर दुर्घटनाग्रस्त लोगों को वितरित किए गये। सेवा को सदैव तत्पर शिमला के 40 स्वयंसेवक दिन रात इस विकट परिस्थिति में अपने देशवासियों की सेवा में लगे थे।