सब्‍सक्राईब करें

क्या आप ईमेल पर नियमित कहानियां प्राप्त करना चाहेंगे?

नियमित अपडेट के लिए सब्‍सक्राईब करें।

4 mins read

मुश्किल के साथी

विजयलक्ष्‍मी सिंह | मध्य प्रदेश

वीडियो देखिये

parivartan-img

नियति का एक….सिर्फ….एक  झटका इंसान का सब कुछ नष्ट कर सकता है। भोपाल में भी कुछ ऐसा ही खेल नियति ने खेला, और पाई-पाई कर जोड़ी गृहस्थियां एक ही पल में भस्म कर डालीं। ....9 अप्रैल 2018 को 12 बजे तपती दोपहरी में भोपाल की पॉश रिहाईश साकेत नगर से सटी झुग्गियों में गैस सिलेंडर फटने से लगी भयानक आग जब यहाँ रहने वाले बेबस लोगों  के छोटे- छोटे सपनों को राख के ढेर में तब्दील कर रही थीं, तभी कुछ नौजवानों  का एक दल देवदूतों की तरह प्रकट हुआ। अब वहां इन बेबस लोगों और निर्मम नियति के बीच दीवार बन कर अगर कोई खड़ा था, तो वह थे खाकी नेकर पहने यह नौजवान गणवेशधारी स्वयंसेवक, जिन्होंने अपने साहस और सेवा भाव से इस बस्ती के लोगों पर पड़ी नियति की टेढ़ी नज़र के असर को कम करने का हर संभव प्रयास किया।




कोई स्वयंसेवक बस्तीवालों का सामान आग से बचाकर निकालने में मदद कर रहा था, तो कोई टैंट की व्यवस्था में जुट गया था। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के साकेत नगर में 25 बरसों से बसी हुई इन झुग्गियों में लगी भीषण आग में कुल 31 झुग्गियाँ जलकर राख हो गई। पीड़ितों की मदद के लिए सबसे पहले पहुँचे, स्वयंसेवकों ने आग लगने के चंद ही घंटो में जरूरत के सारे कपड़े व शाम के भोजन की व्यवस्था की। भोपाल के विभाग बौध्दिक प्रमुख नितिन जी केकरे की मानें तो प्रशासनिक अमले से लेकर मंदिर समितियों तक स्वयंसेवकों ने सबसे बात कर चंद ही घंटो में पीड़ितों के लिए हर तरह की मदद जुटा ली।


25 सालों से घर-घर चौका बासन कर इन झुग्गियों में ही रहकर जवान से बूढ़ी हो गई शाँतिबाई की व्यथा आँसुओं के साथ फूट पड़ती है। वे बताती हैं कि वे तो सर पर हाथ रखकर नियति को कोस ही रही थी, तब इन नौजवानों ने इन्हें धीरज तो बँधाया ही दो दिन किसी अपनों की तरह रात-दिन उनकी हर जरूरत को पूरा करने में जुट गए। सबसे पहले यहाँ पहुँचने वाले आश्विनी चढ़ार, गौरव शुक्ला कार्तिक वर्मा, आशुतोष नामदेव व अतुल विश्वकर्मा ने पहले दिन होटल से व दूसरे दिन झूग्गियों से सटे सैक्टर 2 ए के 150 परिवारों से भोजन इकठ्ठा कर बांटा।  इन नौजवानों ने समुचित व्यवस्था के लिए मंदिर समितियों व सेवा भारती के कार्यकर्ताओं से मदद  भी माँगी। सेवा भारती मातृमंडल की बहनों ने परीक्षा देने वाले बच्चों के लिए किताबें व जरूरी सामान जुटाया व पढ़ने के लिए मंदिरों के कमरे खुलवाए। आग लगने के 24 घंटे के भीतर सेवा भारती की चलित मेडिकल वैन के डाक्टर दिनेश शर्मा एंव डाक्टर राम अवतार यादव ने बस्ती वालों का मेडिकल चेअकप कर जरूरी दवाईयाँ दी। अब इन पीड़ित परिवारों को सरकार ने एक मल्टीस्टोरी भवन में शिफ्ट कर दिया है। मदद करने वाली कई संस्थाएं  भी जुट गई हैं व सेवा भारती साकेत मण्डल के समस्त महिला पुरुषो ने स्वयंसेवकों के सहयोग से सबके साथ समन्वय कर सही व्यक्तियों  तक जरूरत की हर चीज पहुँचाने का जिम्मा ले लिया है।

1082 Views
अगली कहानी