सब्‍सक्राईब करें

क्या आप ईमेल पर नियमित कहानियां प्राप्त करना चाहेंगे?

नियमित अपडेट के लिए सब्‍सक्राईब करें।

5 mins read

बचत से बचाई बढ़ाई शिक्षा

विजयलक्ष्‍मी सिंह | गुजरात

Play podcast
parivartan-img

दिन कैसे बहुरते हैं, अगर महसूस करना हो तो, ‘आसरसाआइए। गुजरात में समुद्र किनारे बसा मुछुआरों का 1000 की जनसंख्या वाला छोटा सा गांव है- आसरसा, जहां कुछ लोग किसानी भी करते हैं। कभी आलम यह था कि बामुश्किल 8 वीं कक्षा से उपर पढ़ा कोई शख्स यहां मिलता था। ज्यादातर बच्चे आठवीं तक पहुंचे-पहुंते, पढ़ाई को अलविदा कह देते थे। बड़े-बुजुर्गों का रवैया भी बच्चों की पढ़ाई को लेकर कमोवेश उदासीन सा ही था। आसरसा में सबकुछ ऐसा ही रहता, अगर वर्ष 2004 में संघ के स्वयंसेवक अंबालाल गोहिल का आगमन गांव में हुआ होता। अंबालाल जी के यहां आने के पश्चात देखते ही देखते गांव का सम्पूर्ण परिदृश्य ही बदल गया। अगर यूं कहें कि इस गांव में स्थानीय एजुकेशनल रैवेलूशन सरीखा कुछ हुआ, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। 


एक क्रिएटिव आइडिया को क्रियाशीलता देते हुए अंबालाल जी उनके सहयोगी स्वंयसेवकों ने गांव में बैंक ऑफ बड़ौदा के सहयोग से बच्चों का एक बचत बैंक स्थापित करवाया। बचत बैंक से गांव के बच्चों की पढ़ाई की छोटी बड़ी जरूरतों के लिए पैसा रूकावट नहीं रहा। उधार धन से नहीं, बल्कि खुद के पैसे से, खुद के लिए शिक्षा सुलभ करने का यह उपक्रम आज अपने आप में एक प्रेरक पहल बन चुका है। प्रत्येक ग्रामवासी की बचत के 1 रूपए की जमा से आज बैंक आफ बडौदा की जम्मूसर ब्रांच के बचत खाते में जमा राशि 3 लाख रूपए हो गई है। 


वर्तमान में आई0आई0टी की पढ़ाई कर रहे गांव के ही एक युवा कल्पेश रतनचंद्र बताते हैं कि 2 साल पहले तक आसरसा में हाईस्कूल भी नहीं था। आठवीं से आगे पढ़ाई के लिए 30 किलोमीटर दूर जम्मूसर जाना पढ़ता था। रोज़ाना अपडाऊन असंभव था हास्टल खर्च माता-पिता की हैसियत से बाहर, तब बचत बैंक की मदद से वह और उनके जैसे 60 अन्य बच्चे हास्टल में रहकर आगे की पढाई कर सके। गांव में स्थापित विद्यालय में सहशिक्षक रहे दिव्येशजी बताते हैं हाल ही में विद्यालय के 2 नए कमरे गाँववालों ने मिलकर बनाए हैं। विद्यालय से शुरू हुए झोला पुस्तकालय की पुस्तकें बच्चों से गांववालों तक पहुँची। फिर धीरे धीरे गाँव की दीवारें सुविचारों से रंग गई। स्कूल का खोयापाया विभाग में अब पूरे गांव में मिली चीजें पहुँचने लगी जिसका कुछ भी खोता वो विद्यालय पहुँच जाता। स्वयंसेवकों के प्रयासों से गायत्री परिवार भी आसरसा पहुँचा और नशामुक्ति अभियान चला अनेक ग्रामीणों को इस लत से उबारा।


आसरसा में सिर्फ शिक्षा ही नहीं इससे इतर भी बहुत कुछ बदला है। अंबालाल जी संघ की ग्रामविकास टीम यहीं नहीं रूकी, बल्कि यहां खेती की भी काया पलट कर दी। समुद्री नमक से प्रभावति यहां की बंजर भूमि गोबर गोमूत्र निर्मित खाद उपयोग से उर्वरा हो उठी है। पूरे गांव में हरी भरी फसलें लहलहा रहीं है। घर- घर में आँवला, हरीतिकी और उड़ूसी के पेड़ लगें है। गांव में विद्यालय स्थापना एंवम शिक्षा विकास से शुरू हुआ यह छोटा सा परिवर्तन कब गाँव के सामान्य मेहनतकश जीवन में भी प्रवेश कर उसे नई दिशा देनें लगा किसी को पता भी चला।

1029 Views
अगली कहानी