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मध्य प्रदेश
घर-घर बर्तन मांजते, मेहनत-मजदूरी करते हाथों
को, चेहरे पर पड़ गई चिंताओं
की लकीरों को मानो जीवन भर की तपस्या का फल मिल गया था। आज संतोष और शालू की खुशी
का ठिकाना ही नहीं था, जहां बड़ी बेटी का चयन वाणिज्य विभाग में कराधान सहायक के
पद पर हो गया था वहीं छोटी बेटी मध्य प्रदेश पुलिस में सिपाही बन गई। जिस परिवार
के लिए अपने चार बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाना भी मुश्किल था वहां पर उनके बच्चों
का प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग कर, एक अच्छी सरकारी नौकरी मिलना इस जन्म के सफल होने से कम
नहीं था। यह सपना साकार हो पाया सेवा भारती - मालवा द्वारा प्रतियोगी परीक्षाओं की
तैयारी के लिए चलाए जा रहे दिशा प्रतियोगी परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण केंद्र के
सहयोग से। एक छोटे कमरे से अनुसुचित
जाति व जनजातीय समाज के 37 बच्चों के साथ इस संस्थान का कार्य आरंभ हुआ था।
अभावग्रस्त परिवारों के बच्चों के लिए वर्ष 2016 से चल रही इस कोचिंग ने 1000 मेधावी बच्चों का
मार्गदर्शन किया और वर्तमान 2025 तक 50 बच्चों को उनकी मंजिल तक पहुंचाया है। छोटे-छोटे गांव से आए
विद्यार्थी इंदौर महानगर में आकर या तो अपने आपको ही खो देते थे या ऊंची फीस को
देखकर पढ़ाई किये बिना ही अपने घरों को लौट जाते थे। क्षमता होते हुए भी आर्थिक
संकट को झेलने वाले छात्रों का भविष्य कैसे संवारा जाए ? इस प्रश्न के उत्तर में
मालवा सेवा भारती के
कार्यकर्ताओं की टोली ने मध्य प्रदेश, इंदौर में दिशा प्रतियोगी परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण केंद्र
को जन्म दिया। विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए सबसे पहले एक कमरे की आवश्यकता थी
जिसके लिए स्वयंसेवक स्वप्निल परख्या जी ने अपनी सॉफ्टवेयर कंपनी के ऑफिस में ही
कमरा उपलब्ध कराया। जहां डेढ़ वर्ष निरंतर प्रकल्प चला और कोचिंग के तीन बैच यहीं
से पढ़ कर निकले।
वर्तमान में सेवागाथा के अखिल भारतीय तकनीकी प्रमुख,
स्वप्निल परख्या दिशा के
लक्ष्य को स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि "समाज में प्रतिभाशाली विद्यार्थियों
को आगे बढ़ने का अवसर मिले ,भारतीय मूल्यों, संस्कारों के साथ वे देश के प्रति अपने दायित्व को समझें और
देश की प्रगति में अपना हाथ बढ़ाएं, इसको ध्यान में रखकर ही कोचिंग का सिलेबस डिजाइन किया गया
है।” सहयोगियों की चर्चा करते हुए वे बताते हैं श्री अवधेश यादव जी ने
कोचिंग के लिए फैकल्टी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी ली तो अजय वैशम्पायन जी ने
समन्वय का सूत्र संभाला। आईए मिलते हैं एम.पी.पी.एस की परीक्षा पास कर राज्य सेवा
में आबकारी निरीक्षक पद पर आसीन मनोज आंजलेकर जी से। जो खरगोन जिले के दसोड़ा गांव
से इंदौर पढ़ने आए। जिनके पिता टेक्सटाइल मिल में मजदूरी करते हैं। मनोज बताते हैं कि जब कुछ
वर्ष पूर्व मैं इंदौर आया था तो मेरा कोई परिचित यहां नहीं था, खाने-पीने से लेकर फीस तक के पैसों का इंतजाम करना भी
मुश्किल हो रहा था, ऐसे में सेवा भारती परिवार ने न केवल मेरे रहने और खाने
-पीने की व्यवस्था की बल्कि मेरा हौसला बढ़ाया और उन विपरीत परिस्थितियों में मुझे
आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। इसीलिए मैं सेवा भारती परिवार और दिशा प्रतियोगी परीक्षा
पूर्व प्रशिक्षण केंद्र का बहुत-बहुत आभारी हूं। इसी तरह खंडवा जिले के छोटे से
गांव से एक सामान्य किसान के बेटे प्रवीण मंडलोई ने अनेकों परेशानियों को पीछे
छोड़कर एम.पी.पी.एस की परीक्षा को पास किया और राज्य सेवा में सहकारिता निरीक्षक
पद पर आसीन हो कर देश के प्रति अपना दायित्व निभा रहे हैं। वो कहते हैं की सभी
योग्य परंतु निर्धन एवं साधनहीन छात्रों को दिशा प्रतियोगी केंद्र के पाठ्यक्रम से,
प्रारंभिक टेस्ट से लेकर
मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार तक जो विशेष मार्गदर्शन मिलता है वह इस समय में
युवा पीढ़ी के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। वर्तमान में दिशा प्रकल्प के संयोजक
एवं मालवा प्रांत के प्रांत स्वावलंबन प्रमुख श्री प्रवीण पाण्डेय जी बताते हैं कि
आसपास के गांव से समाज के विशेष वर्ग के बच्चों का उनकी योग्यता के आधार पर चयन
किया जाता है। वो प्रतिभाशाली युवा जो अपने भविष्य निर्माण हेतु सरकारी सेवा में
जाना चाहते हैं परंतु साधनहीन होने के कारण नहीं जा सकते ऐसे युवाओं के लिए सेवा
भारती द्वारा इंदौर एवं उज्जैन में दिशा प्रतियोगी परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण
प्रकल्प संचालित किया जा रहा है। इन प्रकल्पों पर न्यूनतम शुल्क के माध्यम से
केंद्र एवं राज्य शासन द्वारा आयोजित विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं (सरकारी सेवा)
जैसे म. प्र. लोक सेवा, उप निरीक्षक, पुलिस सिपाही, जेल प्रहरी, पटवारी, संविदा शिक्षक, भारतीय सेना में भर्ती हेतु अग्निवीर, एस.एस.सी. एवं व्यापम
द्वारा आयोजित सभी परीक्षाओं हेतु चयनित एवं अनुभवी शिक्षकों के कुशल मार्गदर्शन
में तैयारी करवाई जाती है। परीक्षा की तैयारी के अलावा, समय-समय पर दिशा प्रकल्प
में आयोजित होने वाले विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से सांस्कृतिक
मू्ल्यों और नैतिक सिद्धांतों को स्थापित करके छात्रों के समग्र विकास को बढ़ावा
देते हैं। वर्तमान में कुल 50 विद्यार्थियों का विभिन्न परीक्षाओं में अंतिम चयन हो गया
है।
दिशा प्रकल्प से ही एम.पी.पी.एस. परीक्षा पास करने वाले
मधुसूदन बैरागी (वाणिज्य कर निरीक्षक) हों या मोना दांगी (वाणिज्य कर निरीक्षक) हर
किसी के संघर्ष की एक अलग कहानी है। मानसिक और शारीरिक परिस्थितियों से जूझ कर जब
एक विद्यार्थी थक जाता है तो उस समय पर दिशा प्रकल्प उन्हें नई ऊर्जा, नई प्रेरणा से भर देता
है। कई बार आर्थिक रूप से असक्षम विद्यार्थियों के लिए खाने-पीने एवं रहने की
व्यवस्था भी सेवा भारती स्वयं करती है।
बूंद बूंद से ही सागर बनता है, देश के भविष्य के निर्माण
में दिशा प्रकल्प के ये छोटे-छोटे प्रयास एक दिन समाज में बहुत बड़े बदलाव का कारण
बनेंगे। सामाजिक समरसता का भाव जन-जन में जागृत कर समाज के हर वर्ग में सम्मान के
साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करेंगे।
क्षेत्र के क्षेत्र सेवा प्रमुख ओम प्रकाश सिसोदिया जी
बताते हैं कि "दिशा प्रकल्प की सफल उपलब्धियों के कारण आशा है कि भविष्य में
मध्य प्रदेश में इसकी कई और शाखाएं खोली जाएं।"
जो संघर्षों से डरते नहीं एवं निरंतर स्वयं को जगा कर आगे
बढ़ते रहते हैं, वे निश्चित ही सफलता को प्राप्त करते हैं। ऐसे क्षमतावान
कदमों को मंजिल तक पहुंचाने का कार्य करता है
दिशा प्रकल्प।
रश्मि दाधीच ✍
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