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शैलजा शुक्ला | कानपुर | उत्तर प्रदेश
काल के क्रूर प्रहार, ने इनसे इनके अपने छीन लिए थे। वनवासी (जनजाति) क्षेत्रों के इन निर्धन अनाथ बच्चों का बचपन कभी न खत्म होने वाली गुरबत की अंधेरी सुरंग में बीत जाता यदि वात्सल्य मंदिर में उन्हें स्नेह भरी छांव व शिक्षा का उजाला न मिला होता। आज इनकी आँखों में सुनहरे भविष्य के सपने भी हैं, व उनके पूरा होने का विश्वास भी। आईआईटी की आँल इंडिया रैंकिंग में 320 वें नंबर पर रहा व आज एमएनआईटी से इंजीनियरिंग कर रहा, ब्रजेश थारू, हो या फिर एनडीए की तैयारी कर रहा पवन पाल दोनों यहां महज 4 बर्ष की उम्र में आए थे।
संघ के एक तरूण व्यवसायी स्वयंसेवक स्व. यतीन्द्रजीत सिंह जी की अनाथ बच्चों को अपना घर देने की कामना ने 2004 में वात्सल्य मंदिर की नींव रखी । यतींद्र जी चाहते थे कि यहाँ आने वाले बच्चों को परिवार की कमी कभी न महसूस हो, बालिकाओं की डोली भी यहीं से उठे व वात्सल्य मंदिर ही उनका मायका बने। उत्तरप्रदेश के कानपुर में पंडित दीनदयाल उपाध्याय सनातन इंटर काँलेज के परिसर में बने इस छात्रावास में बच्चों को पढ़ाने के साथ ही उनकी पर्सनल्टी डेवलपमेंट के लिए खेलकूद से लेकर कम्प्यूटर, संगीत सभी तरह की विधाओं की ट्रेनिंग दी जाती है । जिसका सारा खर्च पूर्वी उत्तरप्रदेश के क्षेत्रसंघचालक वीरेंद्र पराक्रम आदित्य (यतींद्र के पिता ) का परिवार उठाता है।
पूर्वी उत्तरप्रदेश के क्षेत्रसेवाप्रमुख नवलकिशोरजी बताते हैं, कि इस प्रकल्प पर प्रतिमाह 50,000 से 75000रूपए का खर्च होता है। यतीन्द्रजी की अकाल मृत्यु के बाद अब उनकी पत्नी समाजसेविका नीतू सिंह सहर्ष इस जिम्मेदारी को उठा रहीं हैं। वात्सल्य मंदिर में आए अधिकांश बच्चे बलरामपुर,लखीमपुर, बहराईच, मनिकपुर जैसे जनजातीय क्षेत्रों से आए हैं। गोंड, कोल, थार, जैसी विलुप्त हो रही जनजातियों के इन नौनिहालों को वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ता यहाँ लाए थे। ग्रेजुएशन करने के बाद अब दीनदयाल विद्यालय के आँफिस में नौकरी करने वाली सोनम यहाँ सबसे पहले आने वाले बच्चों में से एक है। उसे तो अब याद भी नहीं कि उसके माता-पिता कब जंगली जानवरों का शिकार हुए व कब वह अपने दो भाई-बहनों के साथ यहां पहुंची। कभी संघ के प्रचारक रहे सुरेश अग्निहोत्री जी व उनकी पत्नी मीना जी ने पहले दिन से इन बच्चों को माता-पिता सा स्नेह दिया, कठोर अनुशासन व परिश्रम भी सिखाया।
छात्रावास की दिनचर्या में, योग - शिक्षा व संस्कारों के साथ परिसर की संपूर्ण जिम्मेदारियों का वहन भी बच्चे स्वयं करते हैं। यहाँ बच्चों को खेलकूद का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। जय ,पवन व साध्य ने 2000 मीटर रेस के साथ ही संगीत में मैडल जीतकर विद्यालय का नाम रोशन किया है।
संपर्क सूत्र :- नीतू सिंह
मो. नं:-8009336677
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