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शैलजा शुक्ला | जयपुर | राजस्थान
यूं तो कुंगफू और क्रिकेट में कोई मेल नहीं है, पर पूजा, राहुल, अमन और गुड्डू में है। भले ही पूजा ने जूनियर ओलम्पियड में कुंगफू में गोल्ड जीत हो और राहुल, अमन और गुड्डू चैन्नई में नेशनल लेवल की कबड्डी प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेकर नाम कमाया हो। इन अलग- अलग स्पोर्ट्स के उभरते सितारों को जो एक डोर आपस में बांधती है, वो है- सुरमन। सुनने में संगीत के किसी मधुर स्वर सा लगता सुरमन कितने ही अनाथ व निराश्रित बच्चों के लिए उनका अपना घर है। गुलाबी शहर जयपुर में गत 18 वर्षों से से चल रही इस संस्था ने कितने ही मासूमों को उनकी मुस्कराहट लौटायी है। संघ के स्वयंसेवक सुरेंद्र चतुर्वेदी व उनकी पत्नी मनन के प्रयासों से 1998 में महज दो बच्चों से इस बालाश्रम की शुरूआत हुई थी। आज सुरमन के परिवार में 110 बच्चे व 8 महिलाएं हैं।
बच्चों से पहले जयपुर की मनन की कहानी को भी समझना होगा। फैशन का ग्लैमरस वर्ल्ड- जहाँ सब कुछ ‘लार्जर दैन लाइफ’ होता है। वहां मनन फैशन-डिजाइनिंग में टॉप करने के बाद उस दुनिया में नाम कमाने के लिए बिल्कुल तैयार थीं। अमेरिका और लंदन के चोटी के फैशन-हाउसेस के ऑफर-लेटर्स उसके हाथ में थे। किंतु मन से भावुक मनन पत्रकार स्वयंसेवक सुरेंद्र चतुर्वेदी से विवाह के बाद से समाज व देश के लिए अपनी भूमिका के बारे में सोचने लगी थी। तभी वो गौरी से मिली व सबकुछ बदल गया। घायल गौरी की मरहमपट्टी कर जब वो उसे बस्ती छोड़ने गई तो पता चला भीख मिल सके इसलिए गौरी को नशे की आदी उसकी अपनी मां ने ही घायल किया था। गौरी को वापस लाते समय उस बस्ती की दुर्दशा देखकर मनन ने उन कुछ पलों में एक जीवन जी लिया।
लंदन जाने का इरादा त्याग कर वो इन अभावग्रस्त बच्चों के जीवन की री-डिजाइनिंग में जुट गई। ये रास्ता इतना आसान नहीं था, जब बच्चे बढ़े तो उनका खर्च उठाने के लिए मनन ने पेंटिग, लेखन व थियेटर के जरिए धन कमाया। देश विदेश में 24 घंटे लगातार पेंटिग के शो किए। 2000 में संस्था का रजिस्ट्रेशन होने के बाद समाज भी सहयोग के लिए आगे आया। पहले बालाश्रय गृह से शुरू हुई संस्था ने कोशिस के नाम से परित्यक्त महिलाओं को भी सहारा देना शुरू किया। ये महिलाएं भी अब इन बच्चों से रिश्तों की डोर से बंध गई हैं। निर्धन मेधावी 78 बच्चों को भी संस्था स्कालरशिप देती है। कभी पांचजन्य के लिए राजस्थान के संवाददाता रहे सुरेंद्र अब अपना पूरा समय सुरमन को देते हैं। योग, संस्कार,अनुशासन व देशभक्ति संघ की इस शिक्षा -प्रणाली को सुरमन ने भी आत्मसात किया है। पढ़ाई के साथ ही पेंटिग, संगीत, थियेटर, गायन सब विधाओं को बच्चों की रूचि अनुसार उन्हें सिखाया जाता है। सुरमन के माध्यम से जयपुर के चित्रकूट स्टेडियम में प्रतिवर्ष लगने वाले दशहरे मेले में बच्चे जब हजारों लोगो के सामने बालरामायण की संगीतमय प्रस्तुति देते हैं। संस्था की पत्रिका बोगनवेलिया में आप बच्चों की लिखी कहानी व कविताएं पढ़ सकते हैं।
सुरमन का नया घर बहुत बड़ा होगा सीकर रोड पर सरकार से रियायती दरो पर मिली जमीन पर संस्था आनंदलोक के नाम से 1500 बच्चों के लिए शैल्टर होम बना रही है।
यहां कभी विजिटर के रूप में आए व पूरा जीवन यही समर्पित करने वाले संघ के स्वयंसेवक नरेंद्र शेखावत (नंद) बताते हैं, सुरमन एक संपूर्ण पारिवारिक अवधारणा है। ट्यूशन होमवर्क खेलकूद सबकुछ घर सा होता है। मनन व सुरेंद्रजी के तीनो बच्चे भी इन्ही बच्चों के साथ रहते है। मनन चतुर्वेदी आज राजस्थान बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष है व पूरे प्रदेश के बच्चो की चिंता कर रहीं है।
संपर्क सूत्र- नरेन्द्र शेखावत (नंद)
संपर्क नं. – 9829322232
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