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डूबते केरल की पतवार बना संघ

अंबरीश पाठक | केरल

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मध्य जुलाई 2018 – मानसून अभी शुरू ही हुआ था, देश के बाकी हिस्से में वर्षा जहां राहत की फुहार बनकर बरस रही थी वहीं केरल में सबकुछ ठीक नहीं था।  केरल- जिसे गॉडस ओन कंट्री (देवों का अपना देश) भी कहा जाता है- में जारी भारी वर्षा पिछले सारे रिकार्ड तोड़े दे रही थी। मौसमविज्ञानियों के माथे पर चिंता की लकीरें गहराने लगीं थीं। अंततः 8 अगस्त 2018 की शाम आते-आते केरल में स्थित सभी 54 बांधों का वाटर लेवल खतरे की जद में था। और………. केवल  24 घंटे के भीतर इनमें से 34 बांधो के गेट खोलने पड़े। 26 वर्षों में पहली बार इडदुकु बांध के पांचों द्वारों को एकसाथ खोला गया। अब लगभग पूरा केरल अभूतपूर्व जल प्रलय की जद में था। 



 

चेंगन्नूर, पंदानद, एदानद, अरणमुला,कोजहँचेरी, अयिरूर, रन्, पंडालम, कुट्टनद, अलुवा और चलाकुदयी जैसे इलाके तो मानो दिखाई ही नहीं दे रहे थे दिख रहा था तो सिर्फ पानी। 380 से ज्यादा लोगों को अब तक पानी लील गया था। ऐसा लग रहा था, जैसे देव भूमि केरल पर बाढ़ रूपी किसी विकराल दैत्य ने हमला बोल दिया हो। सब तरफ त्राहि माम्, विध्वंस, मृत्यु और मानवीय बेबसी का दारुण दृश्य था। तभी वासुकी- जिन्हें एक पुराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु के छठवें अवतार परशुराम द्वारा देवभूमि केरल का रक्षक नियुक्त किया गया था- की भांति संघ के स्वयंसेवक इस अभूतपूर्व बाढ़ से दो-दो हाथ करने मैदान में कूद पड़े।



 

राष्ट्रीय सेवाभारती से संबद्ध देसीय सेवाभारती के मार्गदर्शन में हज़ारों स्वयंसेवक कंधे से कंधा मिलाकर राहत कार्यों में जुट गए। चेंगन्नूर जिले का 24 बरस का विशाल नायर भी इनमें से एक था। विशाल ने परहित सरस धर्म नहीं भाई के संस्कार शाखा से सीखे थे। वह जांबाज युवक बाढ़ में डूब रहे लोगों को निकालने के लिए जान पर खेल गया। केरल में जारी राहत कार्यों का संचालन कर रहे सेवाभारती त्रिवेंद्रम खंड सचिव श्री एस.जयकृष्णन जी बताते हैं कि पिता वेणुगोपाल नायर, माता जयश्री और बहन अथिरा नायर को सुरक्षित स्थान पर पहुँचानें के पश्चात 16 अगस्त की अलसुबह करीब 4 बजे विशाल  बाढ़ में फॅसे 50 परिवारों को बचाने के लिए चलाये जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन की अग्रिम पंक्ति के स्वयंसेवकों के साथ जुटा था। तभी नज़दीकी मुरियप्पा ब्रिज के पार उसने एक व्यक्ति को डूबते देखा। विशाल बिजली के वेग से उस ओर दौड़ा और उफनते जल में छलांग लगा दी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार बाढ़ के पानी का वेग इतना तेज़ था कि उसने विशाल को भी जकड़ लिया। उस डूबते व्यक्ति की जान तो ग्रामीणों ने बचा ली, लेकिन विशाल को नहीं निकाला जा सका। तीन दिन पश्चात विशाल का शव घटनास्थल से सौ मीटर दूर जलमग्न मिला। विशाल की बहन अथिरा नायर कहती हैं निसंदेह मेरे बूढ़े माता-पिता नें अपने एकलौते पुत्र को खोया है, पर विशाल हम सबके दिलों में  हमेशा जीवित रहेगा, हमें उसके बलिदान पर गर्व है

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