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युवा संकल्प की अनुपम मिसाल-आनंदपुर भाली

विजयलक्ष्‍मी सिंह | आनंदपुर | हरियाणा

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"कौन कहता है  कि आकाश में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो" प्रसिद्ध कवि  दुष्यंत कुमार की ये पंक्तियां आनंदपुर भाली में चरितार्थ होती नजर आती हैं। हरियाणा के रोहतक जिले  का  ये गांव कभी राजनीतिक विद्वेष का अड्डा बना हुआ था। हालात कुछ ऐसे थे कि गांव के अधिकांश युवा  जेल  व थानों से  ठीकठाक परिचित थे। बस कण्डक्टर  या तो इन्हें  बिठाते नहीं  थे यदि बिठा भी लिया तो किराया मांगने से डरते थे। पर आज इनमें से ही कुछ युवाओं के सार्थक प्रयासों से गांव की तस्वीर ही बदल गई। गांव के बीचोंबीच बना तिमंजिला केशव भवन व उसमें चल रहे तक्षशिला विद्या मंदिर, आर्यभट्ट अध्ययन  केंद्र, लेफ़्टिनेंट अतुल पवार  कंप्यूटर केंद्र हो या फिर शहीद पायलट संदीप पलड़वाल पुस्तकालय, गांव में आए बदलाव की कहानी बयां करते नजर आते हैं। भाली आनंदपुर के इस नए स्वरूप का श्रेय जाता है -हरियाणा प्रांत के प्रांत सह ग्राम विकास प्रमुख अनूप सिंह व उनके साथियों को। इन युवाओं को जब संघ से प्रेरणा व सेवाभारती का साथ मिला तो परिवर्तन की बयार बहने लगी ।




 गांव की चौपाल में बुजुर्गों के बीच अखबार डालने से शुरू हुई सेवायात्रा में नए आयाम जुड़ते गए  व  'शहीद चंद्रशेखर आजाद सेवा समिति' का जन्म हुआ। राष्ट्रीय सेवा भारती से अनुबंधित इस संस्था की सफलता का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि तक्षशिला अध्ययन केंद्र में  पढ़कर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले गांव के 48 युवक आज सरकारी नौकरी कर रहे हैं। हरियाणा की लड़कियों ने पहलवानी से लेकर एथलेटिक्स में अपना परचम देशभर में लहराया है ।इसलिए भाली आनंदपुर की बालिकायें दुर्गा क्रीड़ा केंद्र में कोच की निगरानी में फुटबाल व अन्य खेल नियमित खेलती हैं। इसी का परिणाम है कि निशु, मंजू एवं काजल   समेत 5 लड़कियां नेशनल टीम में खेलती रही  है। 





प्रांत सेवा प्रमुख कृष्ण कुमार बताते हैं कि "गांव की जरूरतों के हिसाब से  सेवा के नए आयाम जुड़ते चले गए,  कक्षा तीसरी से बारहवीं के बच्चों के लिए 6 वर्ष पहले  विवेकानंद संस्कार केंद्र चलाया गया तो प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के अध्ययन हेतु एक वातानुकूलित हॉल बनाया गया जहां आस-पास के गांव गद्दी, खेड़ी, बनियानी एवं डोभ से आकर युवा पढ़ते हैं। शहीद पायलेट संदीप पलड़वाल पुस्तकालय में 5000 पुस्तकों का खजाना गांव के विद्यार्थियों के लिए लिए बुक-बैंक का काम करता है। पुस्तकालय  में  सभी प्रमुख अखबारों  के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए पत्रिकाएं भी आती हैं।  इन दिनों  बरेली में स्टेशन मास्टर मोनू रोज हों या सी.आई.एफ. में सब इंस्पेक्टर सुमित रोज इन पुस्तकों व तक्षशिला अध्ययन केंद्र ने इनकी सफलता में  महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।





युवकों,प्रौढ़ों व महिलाओं के बीच बरसों से चल रही संघ व समिति की शाखा ने गांव में समरसता व विकास की नई कहानी लिख दी है। 23 जनवरी 2013 को जब शहीद सब लेफ्टिनेंट अतुल पवार कंप्यूटर केंद्र शुरू किया गया था, तो कुछ कंप्यूटर सेवा भारती से तो कुछ गांव के ही लोगों ने दिए। केशव भवन के  लिए जमीन  भी पंचायत ने ही समिति को दी। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए बलराम किसान सेवा केंद्र शुरू किया गया, जिसके माध्यम से गांव में घर -घर जैविक खाद बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है।

महिलाओं के लिए चल रहे रानी लक्ष्मीबाई सिलाई केंद्र की विशेषता यह है कि इसका एक बैच पूरा होने के बाद यह गांव में दूसरी जगह शिफ्ट हो जाता है ताकि वहां की महिलाएं आसानी से सिलाई सीख सकें।




 सेवित में सेवाभाव जगाना ये संघ का मूलमंत्र है व इसे हम भाली आनंदपुर में देख सकते हैं। रेल्वे में नौकरी कर रहे समुन्दर गिलौड़ हो या लड़कियों के कोच नरेंद्र पलड़वाल सभी युवा गांव में चल रहे इन सेवाकार्यों के लिए समय देते हैं।

इस कार्य के सूत्रधार रहे अनूपजी कहते हैं जल संरक्षण से लेकर वृक्षारोपण तक हर गतिविधि में गांववालों का पूरा सहयोग मिलता है। वे  बताते हैं गत 5 सालों से हो रहे ग्रामोत्सव ने कभी अलग-अलग धड़ों में बटे भाली आनंदपुर को एक कर दिया है।



 संपर्क- अनूप सिंह जी 

       9034729351

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