सब्‍सक्राईब करें

क्या आप ईमेल पर नियमित कहानियां प्राप्त करना चाहेंगे?

नियमित अपडेट के लिए सब्‍सक्राईब करें।

यहां हर रोज जिंदगी से जंग होती है निरामय सेवा संस्थान

विजयलक्ष्‍मी सिंह | मुंबई | महाराष्ट्र

parivartan-img

जलगांव में मेडिकल कैंप में चेकअप करते डॉक्टर

यहां लोग जिंदगी से जंग लड़ने आते हैं, जानलेवा बीमारियों से जूझ रहे ये मरीज व इनके परिजन डाक्टर, हास्पिटल, ट्रीटमेंट की अंतहीन यात्रा

इलाज़ के लिए लगभग हर महीने मुंबई आते हैं। इनकी कहानियां भले ही अलग-अलग हों पर इसके पीछे छिपा दर्द एक सा है। इन मरीजों के परिवार वालों के पास इस महंगे इलाज लिए पैसा नहीं है। कैंसर जिसको कभी राज योग कहा जाता था वो आज उन लोगों की जिंदगी को भी  क्यों प्रभावित कर रहा है जिनके लिए दो जून की रोटी कमाना भी जद्दोजहद है? इन सवालों का जवाब तो शायद किसी के पास नहीं है किंतु महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में उनके पास निरामय परिवार है, जो न सिर्फ इन्हे शहर के पॉश इलाके में रहने की निःशुल्क सुविधा देता है बल्कि इतने महंगे इलाज का खर्च उठाने में भी पूरी-पूरी मदद करता है।

बॉम्बे हॉस्पिटल से महज 1 किलोमीटर दूर एक्मेपैलेस अपार्टमेंट, धोबी तालाब के प्रथम तल पर स्थित निरामय सेवा संस्थान जलगांव एवं आसपास के जिलों से आए मरीजों एवं उनके परिजनों के लिए रहने का ठौर भी है व चिंता करने वाला परिवार भी। संस्था का प्रबंधन संभाल रहे, संघ के स्वयंसेवक चेतन जी बताते हैं, यहां आए मरीजों के लिए कार्यकर्ता डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लेने से लेकर अलग-अलग टेस्ट करवाने व फिर इलाज होने तक हर कदम पर उनके साथ खड़े होते हैं। मरीज के आने के बाद उसके ठीक होने तक की पूरी चिंता हम परिवार की तरह ही करते हैं।

आइए मिलते हैं सुशील दगड़ू से, मेडिकल प्रथम वर्ष के छात्र, सुशील की मानें तो उसकी जिंदगी निरामय की देन है। महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले की कनवट तहसील में मजदूरी कर अपने बेटे को पढ़ा रहे रामेश्वर दगडू पर वज्रपात तब हुआ जब उन्हें पता चला कि 11वीं में पढ़ रहे उनके बेटे को क्रिटिकल ब्रेन ट्यूमर है, जिसका इलाज बहुत ही मुश्किल है और महंगा भी।जिसकी रोज की कमाई महज ₹200 हो वो भला लाखों का खर्च कैसे उठाते? किंतु भाग्य उनके साथ था और वह निरामय पहुंचे, 3 वर्ष में सुशील के नौ ऑपरेशन हुए इलाज में 22 लाख लगे, यह सारी राशि संस्था ने ही जुटाई। यहां से मिले प्यार व सहयोग को सुशील अब औरों को लौटाना चाहते हैं। डाक्टर बनकर गरीब मरीजों का इलाज नि: शुल्क करना चाहते हैं।




चलिए जलगांव चलते हैं,

75 वर्ष के मधुकर दगड़ू को जब आप शहर की सड़कों पर ऑटो चलाते देखेंगे तो आपको विश्वास नहीं होगा कि महज दो वर्ष पूर्व जब वो निरामय पहुंचे थे तो पेनक्रियाज में कैंसर के कारण, उनका बचना भी मुश्किल था। यह उनका सौभाग्य ही था कि उनकी मुलाकात निरामय के पूर्णकालिक कार्यकर्ता सोमनाथ पाटिल से हुई। उनका इलाज लगभग दो वर्ष चला।उनके स्वस्थ होने तक यहां के कार्यकर्ता परिवार के बड़े की तरह पूरा समय उनके साथ रहे। जब भी मुंबई आए संस्थान में रुके, इलाज में लगने वाला खर्च भी निरामय ने सरकार के माध्यम से जुटाया।

ऐसी अनेक कहानियां इस परिसर में बरसों से लिखी जा रही हैं।


धारावी में कोरोना काल में मास स्क्रीनिंग करते निरामय के कार्यकर्ता

संस्था की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले रामेश्वर जी बताते हैं, जलगांव व आसपास के इलाके में कैंसर जैसी असाध्य बीमारियों से जूझ रहे गरीब लोगों को मुंबई में सही ट्रीटमेंट मिले, इसी उद्देश्य से निरामय सेवा संस्थान की स्थापना 2014 में की गई थी। संघ के तत्कालीन क्षेत्र प्रचारक मुकुंदराव पणशिकर जी की प्रेरणा से एवं तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री गिरीश महाजन के प्रयासों से अस्तित्व में आया निरामय सेवा संस्थान इन मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। 2014 से अभी तक मुंबई में हजारों की संख्या में साधनहीन मरीजों का सहयोग निरामय के माध्यम से हुआ है। इतना ही नहीं जलगांव जिले के अलग-अलग गावों में समय-  समय पर आयोजित किए गए 140 से अधिक मेडिकल कैंप में भी दो लाख से अधिक मरीजों का प्राथमिक इलाज हुआ है।


निरामय के परिसर में आराम करते मरीज

जिस बीमारी का नाम सुन कर ही लोग डर जाते हैं उसके रोगी को मुंबई लाकर टाटा मेमोरियल जैसे हॉस्पिटल में दिखाना, सारे टेस्ट करवाना एक बहुत बड़ी चुनौती है। उस पर निरामय आने वाले अधिकतर लोग या तो मजदूरी करने वाले परिवार हैं या साधनहीन किसान जो अधिकतर पढ़े-लिखे भी नहीं होते, ऐसे में यहां के कार्यकर्ता उनके सहयोगी, मित्र व गाइड तीनों का काम करते हैं। वह मरीज के रजिस्ट्रेशन से लेकर सही डॉक्टर का चयन, उनका अपॉइंटमेंट लेने, सभी टेस्ट करवाने व अंत में इलाज के लिए सरकारी सहायता उपलब्ध कराने तक उनके सहयोगी की भूमिका में रहते हैं। इतना ही नहीं जरुरत पड़ने पर घर छोड़ने के लिए गंभीर रोगियों के लिए संस्थान फ्री एम्बुलेंस भी उपलब्ध कराता है। देवगिरी के प्रांत सेवा प्रमुख रहे व इस कार्य के शिल्पकारों में से एक निरामय के ट्रस्टी श्री योगेश्वर गुर्गे बताते हैं कि विगत एक वर्ष में ही 48 मरीजों को 74,96,334 /-इनमें से कुछ राशि मुख्यमंत्री सहायता कोष कुछ निरामय ट्रस्ट एवं बाकी समाज के सहयोग से उपलब्ध करवाई गई।

वे बताते हैं कोरोना काल में संस्था ने 1280 बंद हुए क्लिनिक आरंभ करवाए 27 अस्पतालों में विभिन्न प्रकार की सेवाएं दी।मास्क सेनिटाइजर ,वितरण, दवाई ऑक्सीमीटर  वितरण के साथ ही यहां के पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं ने धारावी में हुई मास स्क्रीनिंग में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ‌

2688 Views
अगली कहानी