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सूरत में बदली गांवों की सीरत

रश्मि दाधीच | गुजरात

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नशे में धुत पति से हर रोज मार खाती,  सारे अपमान चुपचाप सह जाती। इस नशे ने, ना जाने  कितनी औरतों को कम उम्र में  विधवा कर दिया था। वनवासी गांव की ये औरतें इस नारकीय जीवन को अपना भाग्य समझ कर जी रहीं  थी।  इनको स्वाभिमान व आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाया डॉ  अंबेडकर वनवासी कल्याण ट्रस्ट (सूरत) ने। राष्ट्रीय सेवा भारती से संलग्न इस  ट्रस्ट ने डांग व तापी जिले में 130 सखी मंडलों की रचना कर,1600 महिलाओं में स्वावलंबन, आत्मनिर्भरता और नेतृत्व के भाव को जागृत किया है। ट्रस्ट ने 250 गांवों में किसानों की आय बढ़ाने  के लिए उन्हें  जैविक खेती करना व स्वयं उन्नत बीज को निर्माण करना सिखाया।





सूरत में विगत् 9 वर्षों से निर्धन मेधावी छात्रों के लिए मात्र 15000 फीस लेकर संभव कोचिंग यूपीएससी व जीपीएससी की तैयारी करवा रही है। गुजरात सरकार के टैक्स डिपार्टमेंट वापी में ऑफिसर सुनील गावित समेत "संभव" के  50 से अधिक विद्यार्थी  उच्च सरकारी पदों पर आसीन हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक श्री नरेंद्र पंचासरा के प्रयासों से 1999 में शुरू किए गए, अंबेडकर ट्रस्ट ने संस्कार केंद्र, युवा मंडल, भजन मंडलियों व सखी मंडल, आरंभ कर इन वनवासी गांवो में विकास के एक नये युग की शुरुआत की है। पूर्णतया सरल, निर्मल, ह्रदय वाले वनवासी लोग, जिन्हें कभी हाइब्रिड  बीजों के नाम पर, कभी लघु उद्योग के नाम पर, कई कंपनियों व लोगों ने, अनेंको बार प्रलोभन देकर उनके ह्रदय को कई बार छला था। उन्होने किसी पर भी भरोसा करना बंद कर दिया था। 


आज जब सेवा धाम का बैनर लगता है, तो एक नहीं कई गांव उस बैनर तले एकजुट हो जाते हैं। यह करिश्मा कुछ महीनों और कुछ दिनों का नहीं 20 सालों की मेहनत का परिणाम है। ट्रस्ट के  अध्यक्ष  तुलसी भाई मवानी  बताते हैं, ट्रस्ट को इन गांवों में सेवा धाम के नाम से जाना जाता है। सेवाधाम के माध्यम से 2003  में आहवा गांव में, किराये के मकान में छात्रावास प्रारम्भ किया गया एवं 2005 में 9 वी से 12वी तक के वंचित वर्ग के  छात्रों के लिए छात्रावास कि स्थापना की गई। 




ट्रस्ट के सेवाभावी कार्यकर्ताओ द्द्वारा वर्ष 2006 में, तापी जिले में सोनगढ़ तहसील के गताड़ी गाँव में ग्राम विकास का कार्य शुरू किया था, आधुनिक कृषि, बीज उत्पादन,पानी के संवर्धन हेतु बोरीबंध का निर्माण, देशी खातर एवं जीवामृत बनाने के लिए कृषकों को तैयार कर प्रभावी निदर्शन बनाए गए। कार्यकर्ताओं  के प्रयसों  नें 14 वर्षो में गताडी को आईडियल विलेज बना दिया।  फसलों का उचित दाम मिले इसके लिए किसान मेले भी शुरू किए गए। 



सखी मंडलो ने शराबी पतियों का इलाज भी शुरू कर दिया है। सुंन्दा गांव की अनिता बेन कहती है हमने अपने गांव में  शराब के ठेके बंद  करवाकर गांव को नशे के ग्रहण से मुक्त कर दिया है। डांग जिले का जामलापाडा गाँव  में  तो पुष्पाबेन पवार के नेतृत्व में, 10 बहनो ने 25,000 का लोन लेकर चावल की घंटी शुरू की व आज खुद की कमाई से एक ही  वर्ष में लोन चुका दिया।  


आज भी संघ के अनेक कार्यकर्ता भाई भूपेंद्र पटेल एवं भाई ललित बंसल के साथ, निरंतर इन गांवों की तस्वीर बदलने में अपना योगदान दे रहे हैं। 


संपर्क :-  तुलसी भाई मवानी 

9724443311

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