सेवा है यज्ञकुंड , समिधा सम हम जलें
सहयोगी संस्थाओं का परिचय
भारत की विशाल सांस्कृतिक परंपरा में बनवासी या गिरी वासी एक महत्वपूर्ण अंश रहे हैं। घोर अभावों में जी रहा बनवासी समाज भारत की सांस्कृतिक विरासत की सबसे अमूल्य धरोहर है। बनवासी देश की मुख्यधारा का हिस्सा बने इनके बच्चे पढ़ें, अपनी सांस्कृतिक पहचान को बरकरार रखते हुए ये समाज भी विकास की डगर पर कदम आगे बढाए इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए 1952 में जशपुर में वनवासी कल्याण आश्रम की स्थापना की गयी थी।प्रसिद्ध गांधीवादी नेता ठक्कर बप्पा की प्रेरणा से श्री रमाकांत केशव देशपांडे यानी बाला साहब देशपांडे द्वारा स्थापित वनवासी कल्याण आश्रम शिक्षा स्वास्थ्य कृषि आर्थिक विकास स्वाबलंबन के क्षेत्र में विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से इन जनजातियों के कल्याण के लिए निरंतर प्रयत्नशील है।
Visit websiteविश्व हिंदू परिषद् (VHP) की स्थापना 29 अगस्त 1964 को श्री कृष्ण जन्माष्टमी के शुभ पर्व पर भारत की संत शक्ति के आशीर्वाद के साथ हुई थी। विहिप का उद्देश्य हिंदू समाज को संगठित करना, हिंदू धर्म की रक्षा करना, और समाज की सेवा करना है। भारत के लाखों गांवों और कस्बों में विहिप को एक मजबूत, प्रभावी, स्थायी, और लगातार बढ़ते हुये संगठन के रूप में देखा जा रहा है। स्वास्थ्य , शिक्षा, आत्म-सशक्तिकरण, ग्राम शिक्षा मंदिर (एकल विद्यालय) आदि के क्षेत्रो में 1,00,000 से अधिक सेवा परियोजनाओं के माध्यम से विहिप हिंदू समाज की जड़ो को मजबूत कर रहा है।हिंदू समाज में व्याप्त अस्पृश्यता जैसी सामाजिक बुराइयों के उन्मूलन के निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
Visit websiteविद्या भारती का पूरा नाम 'विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान' है। शिक्षा के क्षेत्र में सबसे बड़ी इस अशासकीय संस्था के अंतर्गत १८,००० शैक्षिक संस्थान कार्य कर रहे हैं। शिक्षा का आधार भारत की संस्कृति एवं विचार पद्धति हो इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए इसकी स्थापना 1977 में की गई थी । संघ परिवार का अंग विद्या भारती, शिक्षा के सभी स्तरों पर कार्य करने के साथ ही शिक्षा की भारतीय दृष्टि को विकसित करने के लिए निरंतर शोध पत्र एवं पुस्तकें भी प्रकाशित करती है।
Visit websiteपद्म विभूषण श्री नानाजी देशमुख के प्रेरणादायक मार्गदर्शन में 8 मार्च,1968 को दीनदयाल शोध संस्थान (डीआरआई) की स्थापना की गई। संस्था द्वारा वर्तमान समाज के समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास और पुनर्निर्माण को प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य, स्वच्छता, बुनियादी शिक्षा, स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण आदि जैसे विकास मॉडल विकसित किए गए हैं। दीनदयाल शोध संस्थान के प्रमुख कार्यक्रमों में सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में शोध करना, सतत कृषि, जल संरक्षण, वैकल्पिक औद्योगीकरण के क्षेत्र में कार्य हेतु लोगों को प्रेरित करना। विकास और प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करना। चिकित्सा शोध, चिकित्सा देखभाल, आजीवन स्वास्थ्य और चिकित्सा क्षेत्र एवं ग्रामीण क्षेत्रों में शैक्षणिक एवं तकनीकी व्यावसायिक प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना करना। मानवीय मूल्यों का प्रचार-प्रसार एवं एकीकृत आदिवासी विकास आदि मुख्य कार्य शामिल हैं।
Visit websiteभारतीय दर्शन एवं मूल्यों को केन्द्र बिन्दु मानकर सेवा और संस्कारों के विविध प्रकल्पों के माध्यम से सर्वांगीण विकास का लक्ष्य पूरा करने व राष्ट्रीय दृष्टिकोणों को प्रखर बनाने में अपनी विशिष्ट भूमिका निभाने के लिए भारत विकास परिषद् की स्थापना 1963 में की गयी थी।
परिषद् समाज में विभिन्न व्यवसायों व कार्यों में लगे श्रेष्ठतम् लोगों का एक राष्ट्रीय, अराजनैतिक, निःस्वार्थ, समाजसेवी एवं सांस्कृतिक संगठन है। दिल्ली के भूतपूर्व महापौर लाला हंस राज एवं डॉ. सूरज प्रकाश ने इसकी नींव रखी। इससे जुड़े 68,000 परिवार निःस्वार्थ भाव से समाजिक परिष्कार एवं सेवा कार्यों में जुटे हैं।
Visit website'स्त्री राष्ट्र की आधारशिला है' इस ध्येयसूत्र को आधार मानकर काम करने वाली संस्था राष्ट्र सेविका समिति की स्थापना वर्ष 1936 में विजयदशमी के दिन वर्धा में व. लक्ष्मीबाई केलकर (मौसी जी) द्वारा की गई थी। संस्था द्वारा देश भर में अनेक शैक्षणिक, स्वास्थ्य एवं स्वावलंबन संस्थाएं चलाई जा रही हैं। समाज के पिछड़े, अभावग्रस्त और वनवासी क्षेत्रों में संस्था विशेष रूप से कार्य कर रही है ताकि यहां का समाज मुख्यतः बच्चे भी देश के विकसित क्षेत्रों के लोगों की तरह विकास की राह पर आगे बढ़ सकें। नक्सलवाद और आतंकवाद ग्रस्त क्षेत्रों की बच्चियों के लिए भारत के अनेक शहरों में छात्रावास चलाए जा रहे हैं। जहां उनके नि:शुल्क आवास और पढ़ाई की व्यवस्था की जाती है। इन छात्रावासों की अनेक लड़कियां उच्च शिक्षा प्राप्त कर स्वावलंबी बन चुकी हैं।
Visit websiteसक्षम का दृढ़ विश्वास है कि प्रत्येक व्यक्ति दिव्य गुणों तथा क्षमताओं से सम्पन्न है। अतः दिव्यांगजन समरसतापूर्ण वातावरण का अनुभव करते हुए स्वावलंबन, आत्मसम्मान तथा गरिमा के साथ जीवन यापन कर सकें एवं राष्ट्र के पुनर्निर्माण में अपनी सक्रिय भूमिका का निर्वहन कर सकें, इस उद्देश्य से 20 जून 2008 को नागपुर में सक्षम संगठन की स्थापना की गई। यह एक राष्ट्रीय संगठन है जो दिव्यांगों के सर्वांगीण विकास एवं सशक्तिकरण हेतु समर्पित है। संस्था सभी दिव्यांगजनों तक अपनी पहुँच बनाने के लिए जिला, प्रान्त तथा राष्ट्रीय स्तर पर अधिवेशन, गोष्ठियों तथा कार्यशालाओं का आयोजन करती है। साथ ही खेल, कला, साहित्य, अनुसंधान, युवा एवं महिला इन आयामों में से निरन्तर क्रियाशील है।
Visit websiteभारत में मेडिकल और डेंटल कॉलेजों की एलोपैथिक प्रणाली के योग्य डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों का एक अनूठा संगठन है नेशनल मेडिको आर्गेनाईजेशन। समाज के वंचित वर्गों की सेवा करने के लिए डॉक्टरों एवं मेडिकल छात्रों को संगठित और प्रेरित करना इस नेक काम के लिये डॉक्टरों एवं मेडिकल छात्रों को विकसित करना इसका प्रमुख उद्देश्य है । व्यक्तिगत इकाइयों द्वारा ऐसे क्षेत्रों को अपनाकर कुछ अच्छे कार्य करना और इस नेक काम के लिए डॉक्टरों की प्रतिबद्धता को विकसित करना है। NMO बेहतर शिक्षक-छात्र संबंध, चिकित्सकों के चरित्र निर्माण और स्वास्थ्य प्रचार कार्यक्रमों के आयोजन के माध्यम से मेडिकल कॉलेजों में एक बेहतर शैक्षणिक माहौल विकसित करने का प्रयास भी करते हैं। वर्ष में एक बार संस्थान द्वारा असम में धनवंतरी सेवा यात्रा के नाम से, जम्मू में कश्यप ऋषि के नाम से सेवा यात्रा एवं राजस्थान में राणा पुंजा सेवा यात्रा के नाम से यात्रा निकाली जाती है। यात्रा का मुख्य उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्रों को संस्थान के डॉक्टरों द्वारा कैंप लगाकर चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करना है।
Visit websiteआरोग्य भारती स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक अखिल भारतीय सेवा संगठन है। रोग निदान से अधिक रोगों की रोकथाम ( Prevention is Better than Cure ) पर केन्द्रित इस तंत्र की 2 नवम्बर 2002 को कोच्चि ( केरल ) में धन्वंतरि जयन्ती के दिन स्थापना हुई। यह संगठन, स्वस्थ जीवनशैली को आधार बनाकर सभी प्रकार के चिकित्सकों, एवं स्वास्थ्य क्षेत्र में रूचि रखने वाले व्यक्तियों के साथ 24 अलग अलग विषयों में कार्यरत है। सेवा कार्यों से लेकर शोध करने तक, छोटे कार्यक्रमों से लेकर प्रकल्प विकसित करने तक , सामान्य व्यक्ति से लेकर प्रबुद्ध नागरिकों तक, कार्य को सर्वस्पर्शी रूप देना , प्रशिक्षणात्मक विषयों से गुणात्मक विकास करना , स्वास्थ्य जागरूकता द्वारा उत्साह और सकारात्मक वातावरण निर्माण करना, संगठन की सहज स्वाभाविक प्रक्रिया है। आरोग्य भारती की मान्यता है कि सभी चिकित्सा पद्धतियों की अपनीअपनी विशेषताएं हैं, वहीं उनकी सीमाएं भी हैं, सभी एक दूसरे की परस्पर पूरक हैं । इसलिए आरोग्य भारती सभी को सम्मान की दृष्टि से देखती है। स्वास्थ्य को संपूर्णता में देखना अर्थात रोग निदान और रोगों के प्रति स्वास्थ्य जागरूकता दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। सभी स्थानीय भाषाओं में साहित्य निर्माण करना, जिससे सामान्य व्यक्ति भी लाभान्वित हो सके, आरोग्य भारती का एक महत्वपूर्ण अंग है ।
सामान्य व्यक्ति स्वस्थ जीवनशैली का अनुसरण करें, अर्थात प्रकृति आधारित दिनचर्या, ऋतु अनुसार आहार - विहार , अनिवार्य व्यायाम, सकारात्मक चिंतन - चर्चा साथ ही स्वस्थ परिवारों की संख्या में वृद्धि हो, तथा जिनका चिकित्सा व्यय कम से कम हो; व्यवहार में पर्यावरण के नियमों का पालन हो ; ऐसे कुछ मापदंड आरोग्य भारती के कार्य के प्रभाव के रूप में देखे जाते हैं।
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